अच्छी बारिश के बावजूद क्यों खराब बनी हुई है दिल्ली-एनसीआर की हवा, सामने आई वजह

 


अच्छी बारिश के बावजूद क्यों खराब बनी हुई है दिल्ली-एनसीआर की हवा, सामने आई वजह


दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के करीब 55 हजार वर्ग किमी का इलाका गुरुवार को स्मॉग की चादर में लिपटा रहा। उत्तर प्रदेश के बागपत से हरियाणा के पानीपत तक की हवा गंभीर स्तर तक प्रदूषित हो गई है। यूपी का गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। वहीं, बुलंदशहर दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बन गया। गुरुवार शाम और कई जगहों पर शुक्रवार को हुई बारिश के बावजूद दिल्ली एनसीआर की हवा खराब स्तर पर बनी हुई है।


 

इसका कारण जानने के लिए जब हमने पर्यावरणविद और नैम इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के डायरेक्टर निलेश कुमार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण पर एक विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण एक वैश्विक समस्या है जो सत्रहवीं शताब्दी के औद्योगिकीकरण से ही शुरू हो गया था। धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण बढ़ते चले गए और ये वैश्विक पर्यावरण में बदलाव का कारण बने। बात अगर दिल्ली के प्रदूषण की करें तो इसकी भी बड़ी वजह वैश्विक पर्यावरण में बदलाव आना ही है लेकिन इसके कई स्थानीय कारण भी हैं।

निलेश सिंह ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण के बहुत सारे कारण हैं, जैसे-
फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं,
गाड़ियों से निकलने वाला धुआं,
निर्माण कार्यों से होने वाला प्रदूषण
सबसे प्रमुख पराली जलाने से निकलने वाला धुआं है

निलेश सिंह का कहना है कि दिल्ली की हवा पर आसपास के राज्यों से आने वाली हवाओं का भी बहुत असर पड़ता है। पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली का धुआं पछुआ हवा के जरिए दिल्ली में आता है और यहां आकर स्थिर हो जाता है। धुएं के स्थिर होने का कारण दिल्ली की हवा में पहले से मौजूद सूक्ष्म कणों का होना है जो धुएं को छंटने नहीं देते और इकट्ठा होकर प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।

इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग का हॉटलैंड कान्सेप्ट भी काम कर रहा है। इसका मतलब ये होता है कि इमारतों की बाहरी दीवार पर लगे कांच(रिफ्लेक्टर), जिनका काम इमारत को ठंडा रखने का होता है। लेकिन वह बाहरी वातावरण को गर्म करता है। इसकी वजह से भी दिल्ली-एनसीआर में गर्मी और प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है। 

निलेश सिंह ने बताया कि यही सब कारण हैं कि बारिश होने के बाद वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार जरूर होता है लेकिन हवा बहुत बेहतर स्थिति में नहीं आ पाती। 

क्या कदम उठाने की जरूरत है
सिविल निर्माण इंडस्ट्री पर सख्ती से और सुचारू रूप से कुछ बंदिशें लगानी जरूरी है।
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के नेताओं जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हों को किसानों से बात करने की आवश्यतकता है। इन लोगों को किसानों को इस बात के लिए मनाने के साथ ही सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी ताकि वो पराली न जलाएं।
प्रदूषण फैलाने वाले लोगों पर कठोर आर्थिक दंड लगाना चाहिए। साथ ही जो एनवायरनमेंटल टेररिस्ट हैं उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।
अधिक से अधिक पेड़ों को लगाने व उनका खयाल रखने की जरूरत है। विकास के नाम पर पेड़ों को नहीं काटा जाना चाहिए।
ऑड-ईवन जैसे नियमों को लोगों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लेना चाहिए जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड का कम उत्सर्जन हो।