अब केजरीवाल नहीं रोक पाएंगे एमसीडी का पैसा, कानून में संशोधन कर सकती है मोदी सरकार!
सार
- एमसीडी के काम न करने का भुगतना पड़ता है खामियाजा
- फंड की कमी से कर्मचारियों को नहीं मिल पाती सेलरी
- दिल्ली के टैक्स में नगर निगमों की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो
विस्तार
भाजपा नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। पार्टी के कई शीर्ष नेताओं का मानना है कि एमसीडी का जमीन पर अच्छा प्रदर्शन न कर पाने का खामियाजा उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ता है। इसका एक बड़ा कारण एमसीडी के लिए दिल्ली सरकार द्वारा समय पर फंड जारी नहीं करना भी है।
फंड की कमी के कारण एमसीडी के स्कूलों के अध्यापकों और सफाई कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया। इससे पैदा हुई अव्यवस्था का ठीकरा भाजपा के सिर फूटता है जिसकी कीमत उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में भुगतनी पड़ती है।
लेकिन अब दिल्ली सरकार राजधानी के तीनों नगर निगमों का पैसा नहीं रोक पाएगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी इसके लिए कानूनी विकल्प अपनाने पर विचार कर रही है। पार्टी ऐसे रास्ते की तलाश कर सकती है, जिसमें दिल्ली के टैक्स में नगर निगमों की हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दी जाए।
इससे तीनों नगर निगमों को बिना मांगे उनकी हिस्सेदारी स्वतः उपलब्ध हो जाएगी। इससे एमसीडी के कामकाज प्रभावित नहीं होंगे और भाजपा को इसका खामियाजा नहीं भुगतना पड़ेगा।
पैसे को लेकर हुई तकरार
दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच पैसों के भुगतान को लेकर पिछले दो वर्ष से खूब तनातनी हुई है। पूर्वी और उत्तरी एमसीडी का आरोप था कि दिल्ली सरकार उसके हिस्से के पैसों का भुगतान नहीं कर रही है। इससे उसे कर्मचारियों का वेतन देने में परेशानी आ रही है। नगर निगमों की मांग थी कि चौथे वित्त आयोग के मुताबिक दिल्ली के टैक्स के हिस्से में उसकी भागीदारी सुनिश्चित कर दी जाए।
लेकिन दिल्ली सरकार इसके लिए सहमत नहीं हुई। वहीं वेतन न मिलने से सफाई कर्मचारियों ने सफाई का काम रोक दिया था, जिसके कारण पूरी पूर्वी दिल्ली में गंदगी का माहौल बन गया था। भाजपा का अनुमान है कि इसके कारण भी उसे चुनावी नुकसान झेलना पड़ा है।
दिल्ली सरकार ने उलटे एमसीडी पर ही अपना पैसा बकाये होने का आरोप लगाया था। दिल्ली सरकार के तत्कालीन बयान के मुताबिक तीनों नगर निगमों को मिलाकर उसे हजारों करोड़ रुपये का भुगतान करना था।